“एक राष्ट्र क्या है? हमारी मातृ-भूमि क्या है? यह पृथ्वी का एक टुकड़ा नहीं, न ही कोई शब्दालंकार, न ही मन में एक कल्पना है। यह एक विशाल शक्ति है, जो राष्ट्र का निर्माण करने वाली लाखों इकाइयों की शक्ति से बनी है, जैसे कि भवानी महिष मर्दिनी सभी करोड़ों देवताओं की एकत्रित शक्तियों के विलय से एक महाशक्ति के रूप में प्रगट हुईं। इसी शक्ति को हम भारत कहते हैं, भवानी भारती, जो तीस करोड़ लोगों की शक्तियों का जीवंत एकात्मरूप है, लेकिन वह निष्क्रिय है, तमस के जादुई घेरे में बंदी है, अपने पुत्रों की आत्म-आसक्त जड़ता और अज्ञानता के कारण।”~ श्री अरविंद, भवानी मंदिर, 1905।
सृजन फाउंडेशन विशिष्ट रूप से परिवर्तन लाने में प्रयत्नशील है – सामान्य भारतीयों की अपनी पहचान, उनके इतिहास और उनकी सभ्यता के विषय में उनकी धारणाओं में वास्तविक, ठोस परिवर्तन लाने में – ताकि उनमें अन्तर्निहित सुषुप्त शक्तियों को जागृत किया जा सके।
सृजन फाउंडेशन भारतीय सभ्यता और संस्कृति की गहरी समझ को बढ़ावा देने वाली कई परियोजनाओं को चलाकर इस परिवर्तन को गति प्रदान कर रहा है, रंगे हुए विकृत इतिहास के धुंधलेपन को दूर कर रहा है, सत्य से कोसों दूर किन्तु प्रचलित विचारों को चुनौती दे रहा है और भारत की महागाथा को पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है जो प्रत्येक भारतीय का अधिकार है।