सृजन फाउंडेशन ट्रस्ट ने इस सहस्राब्दि के प्रारंभ में कुछ पाठ्यक्रमेतर अनौपचारिक विद्यालयों के साथ, दो ओडिशा के पुरी जिले के कुमारपारा और नादखंड गाँवों में और एक वसंत कुंज, किशनगढ़, नई दिल्ली में, अपनी यात्रा शुरू की।
समाज को एक सार्थक ढंग से कुछ वापस देने की उड़ान के स्वप्नों के साथ अपने अत्यधिक अल्प संसाधनों के द्वारा सृजन फाउंडेशन ने संसाधनहीन विद्यार्थियों तक पहुँच कर और उनकी आशाओं और आकांक्षाओं को पंख देकर उनके जीवन में एक सकारात्मक प्रभाव छोड़ने के कार्य को प्रारंभ किया|
ओडिशा के विद्यालयों को एक दशक से अधिक समय के पश्चात् सृजन फाउंडेशन ट्रस्ट के दायरे से बाहर के कारणों से बंद करना पड़ा, किन्तु उतने समय में कम से कम दो सौ छात्रों का जीवन परिवर्तित हो चुका था, जबकि नई दिल्ली में वसंत कुञ्ज के निकट किशनगढ़ का विद्यालय फलता फूलता गया और सर्वसमावेशी और एकीकृत अनौपचारिक शिक्षा का एक लघु प्रतिरूप बन गया| इस पाठ्यक्रमेतर विद्यालय को, यथार्थ में, स्वयं उसके गद्गद् छात्रों ने “स्कूल ऑफ हैपीनेस” नाम दे दिया|
पिछले कई वर्षों में, सृजन फाउंडेशन ने स्कूल ऑफ हैपीनेस के कई कुशाग्रबुद्धि व मेधावी छात्रों को निखर कर अपने पंख फैलाते और संतुलित, विश्वास से परिपूर्ण युवा व्यक्तित्वों और व्यवसायियों के रूप में फलते फूलते देखा है जो विश्व का सामना करने को तत्पर हैं|
बच्चों के साथ साथ सृजन फाउंडेशन ने भी अपने पंख फैलाए हैं और विकास के पथ पर अग्रसर हुआ है|
आज, अनौपचारिक शिक्षा के द्वारा और भी बहुत से बच्चों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के अतिरिक्त, सृजन फाउंडेशन वन संरक्षण, जल संचयन और भारतीय सभ्यता और विचारधाराओं में पुनर्जागरण और कायाकल्प इत्यादि क्षेत्रों में एक सकारात्मक प्रभाव लाने के प्रयासों में भी कार्यरत है|
वर्ष 2015 से सृजन फाउंडेशन अनेक तृणमूल स्तर के लाभ – निरपेक्ष संस्थानों को आर्थिक समर्थन देता आ रहा है, जो शिक्षा और सांप्रदायिक सशक्तिकरण के क्षेत्रों में कार्यरत हैं| इसके अतिरिक्त, सृजन फाउंडेशन राष्ट्रीय महत्त्व की बहु आयामी योजनाओं में भी संलग्न है, जो भारतीय इतिहास और सभ्यता के विषय में सार्वजनिक सम्वाद की विचारधारा को प्रभावित करके, सामान्य भारतीयों के मस्तिष्क में उनके इतिहास और धरोहर के प्रति परिपेक्ष्य में आमूल परिवर्तन लाने में एक उल्लेखनीय अभिव्यक्ति के रूप में उभर रहा है|