– क्या आप हिन्दू धार्मिक मामलों में अदालतों, न्यायपालिका एवं सरकार के हस्तक्षेप से पीड़ित हैं?
– क्या आप गायों से जुड़ी घटनाओं में अचानक बढ़ोतरी से परेशान हैं?
– क्या आप हिन्दू धर्म से संबंधित मामलों में सर्वोच्चय न्यायालय में पी.आई.एल की संख्या में वृद्धि पर आश्चर्यचकित हैं?
पूरे भारत से 100 से अधिक हिन्दूओं ने 22 सितंबर 2018 को नई दिल्ली में एक बैठक की और अन्य समुदायों के समान हिन्दूओं के समान अधिकारों के लिए सरकार द्वारा न्यायोचित और न्यायसंगत कदम उठाने की मांग की। बैठक में निर्धारित आठ प्रमुख मांगें :
1. हिन्दूओं को धर्म और आस्थाके मामलों में समान अधिकार प्रदान करने के लिए, श्री सत्यपाल सिंह जी के 2016 के निजी सदस्य विधेयक को लोकसभा पारित करना, जिसमे :
मंदिरों एवं देवस्थानों का सुचारु प्रबंधन (मंदिर और धार्मिक संसथान) करने का अधिकार देना।
हिन्दुओं को सरकारी योजनाओं, छात्रवृत्ति एवं विभिन्न लाभों के लिए समानाधिकार देना।
शैक्षिक संस्थानों में पारंपरिक भारतीय ज्ञान और भारत के प्राचीन ग्रंथों के शिक्षण को बढ़ावा देना ।
सरकार और अन्य एजेंसियों द्वारा हिन्दू संस्थानों में हो रहे अनुचित हस्तक्षेप को रोकना और हिन्दुओं को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन करने का समान अधिकार देना।
२. वर्तमान एफ.सी.आर.ए अधिनियम को पूरी तरह रद्द करना और एफ.सी.आर.ए के माध्यम से आ रहे विदेशी धन प्रवाह को प्रतिबंधित करना (केवल ओ.सी.आई के द्वारा अनुदानित धन को छोड़कर ) और विदेशी सरकारों के द्वारा हमारी न्यायपालिका, कानून और नीति बनाने में हो रहे हस्तक्षेप का अंत करना ।
- हिन्दू सभ्यता और भारतीय परंपराओं के प्रचार और प्रसार को बढ़ावा देने के लिए और उनमे किसी भी तरह का न्यायिक एवं सरकारीहस्तक्षेप रोकने के लिए धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम को अधिनियमन करना एवं पारित करवाना।
- संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को रद्द करना एवं जम्मू-कश्मीर के जम्मू, कश्मीर और लद्दाख को तीन अलग राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करना। ✅
- भारत से गोमांस के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना।
- हिन्दू (मूल भारतीय) साहित्य, कला, नृत्य, संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण और प्रचार के लिए एवं जीर्ण शीर्णमंदिरों और वास्तुकला की बहाली के लिए कम से कम 10,000 करोड़ के बीज निधि के साथ हैन्दव संस्कृति जीर्णोद्धार निगम (सी.पी.एस.यू) की स्थापना करना।
- नए नागरिकता अधिनियम विधेयक के अधिनियमन के द्वारा, मूल भारतीय धर्मों (हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध) के अनुयायी, जिन्हे विश्व में कहीं भी प्रताड़ित किया जा रहा हो, को नागरिकता की गारण्टी देना और मौजूदा नागरिकता अधिनियम विधेयक के सभी संशोधन को वापस लेना।
- सभी भारतीय भाषाओं के लिए समान अवसर प्रदान करना।
कृपया इन सभी मांगों को विस्तार से पढ़ने के लिए और याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए आगे दिए हुए लिंक पर क्लिक करे
(यह याचिका 10 लाख हस्ताक्षर मिलने के बाद भारत के प्रधान मंत्री, श्री नरेंद्र मोदी जी, को कानून में संशोधन के लिए दी जाएगी। कृपया प्रचार और प्रसार के लिए समर्थन, हस्ताक्षरित और अग्रेषित करें।)